अधीनस्थ - अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन गोलापूर्व महासभा सागर
आप सभी को सूचित किया जाता है कि अखिल भारतवर्षीय दिगंबर जैन गोलापूर्व महासभा का पुनर्गठन 2004 में हुआ था। और गठन के बाद से सजातीय बंधुओ द्वारा स्वास्थ्य एवं शिक्षा के लिए सहयोग की आकांक्षत हुई शुरुआत में कुछ साधन समाज प्रेमी महानुभावों से निवेदन कर के आपस में राशि एकत्रित कर यथासंभव सहयोग देने का क्रम कई वर्षों तक चलता रहा किंतु महासभा के पदाधिकारी द्वारा स्थाई समाधान ढूंढने का प्रयास चला रहा और 2007 में पूज्य गणेश प्रसाद जी वर्णी जी के नाम से चिकित्सा निधि नाम से एक संस्था का नामकरण हुआ जिसमें मात्र साधनहीन स्वास्थ्य के लिए सहयोग करने का सर्वसम्मति से निर्णय हुआ और वर्णी चिकित्सा निधि के सदस्य बनाए गए जो 1200 रुपए प्रतिवर्ष वार्षिक सदस्य बनाए जाएं और प्रारंभ में एक दो वर्ष लोगों में उत्साह रहा किंतु प्रतिवर्ष देने में लोगों को मानस कुछ गड़बड़ सा गया और पुनः विचार विमर्श हुआ और सर्वसम्मति से निर्माण पारित हुआ की बार-बार राशि का प्रावधान न कर एक बार आजीवन सदस्यता रख दी जाए जिसकी मात्रा राशि १५०००/- रखी गई और यह सार्थक हुई आज वर्तमान में मात्र 121 सदस्यों ने ही अपनी चंचललक्ष्मी देकर सौभाग्य प्राप्त किया है उन गौरवशाली व्यक्तित्व के प्रति संस्था आपका आभार मानती है किंतु इतनी बड़ी समाज में यह संख्या नगण्य है कृपया संस्था आपसे बिनय पूर्वक निवेदन करती है कि चिकित्सा के क्षेत्र में दान सबसे बड़ा दान होता है आपके सभी महानुभावों द्वारा साधन विहीन लोगों को सहयोग हो सके तो आप अपनी चंचललक्ष्मी का सदुपयोग कर रहे हैं कृपया आजीवन सदस्यता ग्रहण करके संस्था का मनोबल बढ़ाय एवं सजातीय लोगों की दुआ प्राप्त कर सकें यह मनुष्य पर्याय और जैन कुल में जन्म लेकर आपका स्वाभिमान एवं बहुमान है।